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अनाड़ी कौन ? Short Note By KaviKumar Sumit

 

 अनाड़ी कौन ?

 बड़ा ट्रैफिक हो गया है शहर में कोई कहीं बैठ तक नहीं सकता । एक भीड़ ऐसी भी देखी जा सकती है जो केवल देखने का काम करती है, उसे आप सजीव सी.सी.टी.व्ही. भी कह सकते हैं । क्या आप अपनी प्रेमिका के साथ या प्रेमी के साथ डेटिंग का प्लान तो नहीं बना रहे? अगर हाँ, तो साथ कहाँ जाना चाहेंगे ? वहां, जहाँ पिछली बार जासूसों ने डिस्टर्ब किया या किसी नयी जगह, रानी तालाब एक बेहतर विकल्प नहीं बचा है । वैसे इश्क भी मजेदार चीज होता है, जो लड़की पास की मंडी जाने के लिए बगैर अपनी स्कूटी के नहीं जाती, अपने बेरोजगार प्रेमी के साथ एक से दो किलोमीटर पैदल चली जाती है और कोई शिकायत भी नहीं, जानती है न कोई फायदा नहीं शिकायत काय जब प्यार किया तो थकना क्या ? हर बार आपको नयी-नयी जगहों में घुमने का स्वर्णिम अवसर मिल जाता है, 


 स्वर्णिम इसलिए, क्यूँकी उस वक्त ‘प्रेम में स्पर्श और स्पर्श में प्रेम’ होता है । जिस प्रकार प्रदूषण और आबादी का संकट बढ़ता जा रहा है ठीक उसी प्रकार निजता या प्राइवेसी का संकट भी बढ़ता जा रहा है । मेरा शहर घोर सांस्कृतिक शहर है, इसे प्रेमिका वामपन्थी और लुगाई दक्षिणपन्थी चाहिए | वैसे यह दशा आपके शहर की भी है अथवा हो सकती है क्यूँकि पूरा देश इससे ग्रसित है । शहर और प्रेमियों की अलग-अलग आशिकी है , एक को प्रेम में साधना दिखाई देती है वहीँ दूसरा इसे प्रदूषण समझता है; ठीक उसी प्रकार से जिस प्रकार सिगरेट का धुआं शहर को प्रदूषित करता है लेकिन चुपचाप कोने में दो फूंक मारने में इसे कोई हर्ज़ नहीं | अपने-अपने अभिविन्यास अपनी-अपनी विमाएँ, शहर और इश्क़ अपने-अपने ज्ञान के स्तर पर, उनके अनुसार अर्थपूर्ण सोच रखते हैं |

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