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HINDI POEM :- नमन किसान धर्म को BY कविकुमार सुमित #किसान_आन्दोलन पर कविता




नमन किसान धर्म को


                       किसान खेत जोतता है बीज बोकर खेत में कीटनाशक व खाद भी देता है | यूं कहा जाय तो तन मन धन से फसल उगाता है | कभी अच्छी फसल होती है कभी नहीं भी, कभी कभी अच्छी फसल होने के बावजूद समर्थन मूल्य कम कर दिया जाता है, उसका मुनाफा कम हो जाता है या वह पूरी तरह से घाटे में चला जाता है | लेकिन वह निराश हताश नहीं होता अगले मौसम का इन्तेजार करता है और पुनः ख़ुशी ख़ुशी फसल उगाता है क्यूँकी उसे पता है,उसके खेत में उगने वाली फसल की कीमत कुछ भी हो पैदा होने वाला अनाज़ करोड़ों लोगों के पेट भरने वाला है | देश के सबसे बड़े और सच्चे सेवक के नाम समर्पित मेरी यह कविता 'नमन किसान धर्म को' |




नमन तुम्हारे कर्म को,
ह्रदय विशाल नर्म को,
हाथ हल श्रम को नमन,
नमन किसान धर्म को |
नमन किसान.....

कुछ दे नहीं सका हूँ मैं,
तो भाव दे रहा हूँ मैं,
ऋणी ये सारा हिन्द है,
बस अंश दे रहा हूँ मैं |
नमन किसान...... 

मेरे करों में है कलम,
आपके हैं खुरपियाँ ,
आशीष दो ऋणी हूँ मैं,
आ रहीं हैं सुर्ख़ियाँ |
नमन किसान...... 

उस खेत को उस बीज को,
उस दर्द को उस खीझ को,
उस भूख को उस प्यास को,करबद्ध
 है नमन अधसोई आंख मींज को |
नमन किसान...... 

विज्ञान काश कर सके,जुगत 
जो तुमने है किये, ठंडी में 
खेत जल भरे, अंध कोप में भी
तुम बिना दिए के चल पड़े |
नमन किसान...... 

भूख हिन्द की मिटा,
सुख चैन को मिटा,
तुमने लिया जो हल उठा ,
मैंने लिया कलम उठा |
नमन किसान...... 
नमन किसान...... 


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