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Hindi Poem || Love Proposal || स्वीकार यदि लेती मुझे || KaviKumar Sumit || Poem In Hindi

प्यार बस इतना ही था | कवि कुमार सुमित | Feelings Of A Girl After Breakup


प्यार बस इतना सा था





प्यास पूरी न जगी थी,
रंग धुंधले थे अभी,
प्यार के पौधे से सींचे,
फूल खिलने थे अभी |

मेरा तुम्हारा प्रीति बंधन,
अनसुने पतझड़ सा था,
स्वप्न देकर दूर जाना,
प्यार बस इतना सा था |

ज़िन्दगी अपनी गुज़ारूँ,
बस तुम्हारी ख्वाहिशों पर,
नाव बन तट पर लगाती,
हर ग़मो की बरिसों पर |

बाँह पर साँसों को छोडूँ,
थी मेरी ये कल्पना,
स्वप्न को मिटना ही था,
प्यार बस इतना सा था |

मेरा तुम्हारा प्रीति बंधन,
अनसुने पतझड़ सा था,
स्वप्न देकर दूर जाना,
प्यार बस इतना सा था |

मेरे क़िस्मत में ये बस थे,
चार पल चन्दन भरे,
ख्वाहिशें सिन्दूर की थीं,
माँग में प्रियतम भरे |

मूक मेरी याचना थी,
भाव में करुणा सा था,
भाव मेरा था समझना,
प्यार बस इतना सा था |

मेरा तुम्हारा प्रीति बंधन,
अनसुने पतझड़ सा था,
स्वप्न देकर दूर जाना,
प्यार बस इतना सा था |


कुछ नही था चाहिए,
देते बस मुस्कान अपनी,
वर्षों तक चाहे न मिलते,
न पड़ती मेरी मॉल जपनी |

हाँथ सर पर फेर देना,
मखमली अनुपम सा था,
माथ पर चुम्बन खिते,
प्यार बस इतना सा था |



मेरा तुम्हारा प्रीति बंधन,
अनसुने पतझड़ सा था,
स्वप्न देकर दूर जाना,
प्यार बस इतना सा था |

जा रहे हो दूर मुझसे,
याद में रखना सदा,
साथ में संगी मुबारक,
पीछे मुद मत देखना |

व्यंजनों के बीच में,
दिल मेरा चखना ही था,
बर्फ़ खाकर प्यास बढ़ना,
प्यार बस इतना सा था |

मेरा तुम्हारा प्रीति बंधन,
अनसुने पतझड़ सा था,
स्वप्न देकर दूर जाना, 
प्यार बस इतना सा था | 



                                                    -कविकुमार सुमित
                                      




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