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आसान नहीं कविता लिखना | कविकुमार सुमित | मोटिवेशनल कविता


लिखी हुई कविता पढ़ने एवं सुनने में कितनी खूबसूरत लगती है ना? लेकिन इस खूबसूरती को लाने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ढेर सारे शब्दों में से कुछ शब्द चुनने पड़ते हैं और काम यही नहीं रुकता उन शब्दों का और भावों का मेल मिलाप करके जो उचित शब्द होते हैं उन्हें रखकर कविता बनाई जाती है।और इसी तरह से विभिन्न प्रकार की चौपाईयां दोहे छंद आदि लिखे जाते हैं।कविता को लिखने का और फिर उसे पढ़कर सुनाने का और सुनने का भी मजा अलग अलग है। मेरी यह रचना सभी कवियों एवं लेखकों को समर्पित है और आपको भी तो यह पता चलना चाहिए कि 
  आसान नहीं कविता लिखना ,
  आसान नहीं कविता लिखना...

शब्द जाल में उथल-पुथल कर,
एक भाव पर फिर रुकना,
मन के कोनो को झांक झांक,
आसान नहीं कविता लिखना ।

कुंठित मन को खुशियां देकर,
प्रेमी मन में प्रेम जगा कर,
मां के आंचल में चले लेखनी,
ऐसी कोई रचना करना।
आसान नहीं कविता लिखना...

परंपरा से मिलती-जुलती,
नए समय सिंह चलती फिरती,
जो पर एक तरह से चलता हो,
पड़ जाए उसको भी झुकना।
आसान नहीं कविता लिखना...

भाषा आशा वाचन करती,
गागर में सागर जो भरती,
कठिन नीतियां समझा दे,
शब्द सिखा दें प्रण करना।
आसान नहीं कविता लिखना....

वीरों की कुर्बानी की जय,
शीश झुका ले वही हिमालय,
कागज भारत खूनी स्याही,
आजाद भगत झांसी लिखना।
आसान नहीं कविता लिखना....
आसान नहीं कविता लिखना....

2019©कविकुमार सुमित
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